क्रिया योग क्या है?

क्रिया योग एक प्राचीन ध्यान की तकनीक है, जिससे हम प्राण शक्ति और अपने श्वास को नियंत्रण में ला सकते हैं। यह तकनीक एक व्यापक आध्यात्मिक जीवन का हिस्सा है, जिसमे शामिल हैं अन्य ध्यान कीं तकनीक अवं सात्विक जीवन शैली। क्रिया योग की तकनीक शतकों तक रहस्य में छिपी हुई थी। यह तकनीक 1861 में पुनरुज्जीवित हुई जब महान संत महावतार बाबाजी ने यह तकनीक अपने शिष्य लाहिड़ी महाशय को सिखाई। लाहिड़ी महाशय ने फिर यह तकनीक अपने शिष्यों को सिखाई, जिनमे से एक स्वामी श्री युक्तेश्वर जी थे, जिन्होंने अपने शिष्यों को यह तकनीक सिखाई, जिनमे से एक परमहंस योगानंद जी थे।


योगानंद जी ने फिर अपनी किताब ‘एक योगी की आत्मकथा’ के द्वारा और पश्चिमी देशों में इसके शिक्षण द्वारा क्रिया योग को प्रचलित किया।

क्रिया योग कैसे काम करता है?

परमहंस योगानंद जी के अनुसार- योग के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए (ईश्वर के साथ एक होना), क्रिया योग आज के ज़माने में मनुष्य को उपलब्ध सबसे प्रभावशाली तकनीक है। क्रिया योग इतना प्रभावशाली इसलिए है क्योंकि वह विकास के स्रोत के साथ प्रत्यक्ष रूप से काम करता है- हमारी मेरुदंड के भीतर आध्यात्मिक शक्ति।

सभी योग कीं तकनीकें इसी शक्ति के साथ काम करतीं है, लेकिन अप्रत्यक्ष रूप से। योगासन, उदाहरण स्वरूप, मेरुदंड के अंदर मार्ग खोलने में मदद कर सकते हैं, एवं मेरुदंड के भीतर की शक्ति को संतुलित कर सकते हैं। योग श्वास-नियंत्रण तकनीक, मतलब प्राणायाम, इस शक्ति को जागरूक करने में मदद कर सकतें हैं।

परन्तु क्रिया योग इनसे अधिक प्रत्यक्ष है। यह तकनीक अभ्यास करने वाले की प्राण-शक्ति को नियंत्रित करने में मदद करती है, उस प्राण-शक्ति को मानसिक रूप से मेरुदंड में ऊपर और नीचे ले जाने के द्वारा, जब इस तकनीक को चेतना और इच्छाशक्ति के साथ किया जाए।
योगानंद जी के अनुसार, एक क्रिया, जिसको करने में आधे मिनट के करीब लगता है, एक साल के कुदरती आध्यात्मिक विकास के बराबर है।
क्रिया योग अपनी प्रभावशीलता में आभ्यासिक है। क्रिया योगी पातें है कि उनकी धारणा शक्ति बढ़ जाती है, ताकि वे व्यापार और गृहस्थ जीवन में प्रभावशाली बन सकें, और हर तरह से अच्छा इंसान बन सकें।

 

क्रिया योग का वैज्ञानिक पहलू

परमहंस योगानंद जी के ‘एक योगी की आत्मकथा’ से:

क्रिया योग एक साधन है जिसके द्वारा मानवीय विकास को तीव्र किया जा सकता है। प्राचीन ऋषियों ने खोज की कि ब्रह्माण्डीय चेतना के रहस्य का श्वास पर नियंत्रण के साथ गहरा संबंध है। ह्रदय की धड़कन को कायम रखने में सामान्यतः जो प्राण शक्ति लगती है उसे, श्वास की अंतहीन माँगों को शान्त करने और रोकने की विधि द्वारा, उच्चतर कार्यों के लिए मुक्त किया जाना चाहिए।

“ आठ घंटे में एक हज़ार क्रिया से योगी को एक दिन में एक हज़ार वर्ष का स्वाभाविक विकास प्राप्त होता है: एक वर्ष में 365000 वर्ष का विकास। “

योगानंद जी के ‘एक योगी की आत्मकथा’ से

कहाँ और कैसे इसे सीखा जाए?

आनन्द संघ द्वारा क्रिया योग में दीक्षा लें

परमहंस योगानंद जी ने स्वामी क्रियानन्द जी को क्रिया योग में दीक्षा देने का अधिकार दिया था। आप क्रिया योग में दीक्षा आनन्द संघ के किसी भी क्रियाचार्य द्वारा ले सकतें हैं, जिन्हे स्वामी क्रियानन्द जी ने क्रिया योग में दीक्षा देने का अधिकार दिया हो। हमारे अधिकांश क्रियाचार्य 30 सालों से अधिक समय से क्रिया योग में लोगों को दीक्षा दे रहें हैं एवं 50 सालों से अधिक समय से ध्यान के पाठ्यक्रम को सीखा रहें हैं। आनन्द संघ के क्रियाचार्य अनेक देशों में क्रिया योग में दीक्षा दे चुकें है, जैसे कि, अमरीका, भारत और इटली, परन्तु हमारे क्रियाचार्य अन्य देशों में यात्रा कर भी दीक्षा देतें हैं।

क्रिया योग के लिए तैयारी

क्रिया योग में दीक्षा लेने से पहले, आपको तैयारी की विधि अनुसार परमहंस योगानंद जी की शिक्षाओं का अध्ययन करना होगा एवं कुछ ध्यान की तकनीकों का अभ्यास करना होगा। कई वर्षों से, आनन्द संघ ने विश्वभर में हज़ारों सत्य की खोज में लगे आध्यात्मिक जिज्ञासुओं को क्रिया योग में दीक्षा प्राप्त करने में सहायता करी है। हमने यह देखा है कि, क्रिया योग का अभ्यास कई गुना प्रभावशाली हो जाता है जब भक्त ने सही तैयारी और अध्ययन किया हो।